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लेखनी प्रतियोगिता -03-Apr-2022

मधुशाला


राह में जीवन की जो गम का दरिया है,
बहा ले जाता मुसाफिर को मधुशाला है।

दिल से कोई गरीब या अमीर नहीं होता,
छलकता मधु का प्याला यह कहता है।

हर कोई मद्यप नहीं होता मधुशाला जाने वाला,
हर कोई परवाना नहीं होता शमा पर जाने वाला।

जाता हूँ मैं मधुशाला बहकने के लिए,
इश्क में मिले दर्द को भूलाने के लिए।

तिल तिल जलता हूँ हाँ मधुपान मैं करता हूँ,
दर्द ए दिल बयां करूँ किसको।

मधु के प्याले में दर्द घोल कर पीता हूँ,
ना कहो दुनिया वालो मद्यप मुझको।

मैं तो मधुशाला का एक पुजारी हूँ,
भटक गया हूँ राह मैं इसका कारण भी दुनिया दारी है।

श्वेता दूहन देशवाल 

मुरादाबाद उत्तर प्रदेश 

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10 Comments

Shrishti pandey

04-Apr-2022 09:36 PM

Nice

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Shnaya

04-Apr-2022 03:01 PM

Nice one

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Punam verma

04-Apr-2022 09:14 AM

Very nice

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